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सुन्‍दर भाटी की जेल से रिहाई : गैंगवार नहीं, एक अन्‍य कारण है जो गौतम बुद्ध नगर पुलिस के लिए बन सकता है सिरदर्द !

Sundar Bhati's release from jail: Not gang war, there is another reason which can become a headache for Gautam Buddha Nagar Police!

Panchayat 24 : पश्चिमी उत्‍तर प्रदेश का कुख्‍यात अपराधी सुन्‍दर भाटी की जेल से रिहाई की बातें मीडिया में सुर्खियां बनी हुई है। दरअस, सुन्‍दर भाटी उत्‍तर प्रदेश की सोनभद्र जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहा था। हाईकोर्ट से जमानत मिलने के बाद वह वाराणसी से दिल्‍ली पहुंच गया है। रिपोर्ट के अनुसार वह दिल्‍ली मयूर विहार और पांडव नगर स्थित अपने घर पर है और अगले महीने अपनी बेटी की शादी की तैयारियों में जुटा हुआ है। उसके राजनीति में कदम रखने की भी चर्चा चल रही है। सुन्‍दर भाटी की रिहाई के बाद से ही मीडिया में पश्मिी उत्‍तर प्रदेश, विशेष रूप से गौतम बुद्ध नगर में गैंगवार की संभावनाओं की जिक्र किया जा रहा है जिसके चलते दिल्‍ली पुलिस, गौतम बुद्ध नगर पुलिस और यूपी एसटीएफ सक्रिय हो गई हैं। हालांकि गैंगवार की संभावनाओं से इंकार नहीं किया जा सकता है, लेकिन ऐसा कुछ जरूर है जो सुन्‍दर भाटी की रिहाई के बाद गौतम बुद्ध नगर पुलिस के लिए मुसीबत का सबब बन सकता है। इस रिपोर्ट में इसी बिन्‍दु पर चर्चा की गई है।

क्‍या है पूरा मामला ?

दरअसल, कुख्‍यात गैंगस्‍टर सुन्‍दर भाटी पश्चिमी उत्‍तर प्रदेश में अपराध जगत में बड़ा नाम है। उसके ऊपर पूर्व जिला पंचायत अध्‍यक्ष नरेश भाटी, स्‍क्रेप माफिया रवि काना के भाई और सपा नेता हरेन्‍द्र नागर तथा उसके गनर भूदेव शर्मा की हत्‍या सहित 60 से अधिक हत्‍या, हत्‍या का प्रयास, धमकी, वसूली जैसे जघन्‍य अपराध दर्ज है। हरेन्‍द्र नागर एवं भूदेव शर्मा हत्‍याकांड़ में न्‍यायालय ने उसको आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। पिछले लगभग चार साल से वह सोनभद्र की जेल में सजा काट रहा था। सुन्‍दर भाटी गिरोह के तार पूर्वांचल के अपराधिक गिरोह से भी जुड़ते रहे हैं। बीते 15 अप्रेल को माफिया डॉन अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की हत्‍या में भी सुन्‍दर भाटी गिरोह का नाम जुड़ा था। हाई कोर्ट से जमानत मिलने के बाद सुन्‍दर भाटी की बहुत ही गुप्‍त तरीके से रिहाई हुई जिसके बाद वह हवाई मार्ग से वाराणसी से दिल्‍ली पहुंच गया।

पुरानी रंजिश और वर्चस्‍व की जंग में गैंगवार होगी मुखर ! 

जिस आपसी रंजिश और वर्चस्‍व की लड़ाई के कारण शुरू हुई गैंगवार के चलते गौतम बुद्ध नगर की धरती लहूलुहान हो चुकी है। सुन्‍दर भाटी के जेल से बाहर आने के बाद यह चर्चा जोर पकड़ रही है कि गौतम बुद्ध नगर के अपराधिक गिरोह के बीच यह गैंगवार एक बार फिर तेज होगी। हालांकि इस बात से इंकार कतई नहीं किया जा सकता है। फिर भी गैंगवार शुरू होने की आशंकाएं बहुत कम हैं। इसके पीछे मुख्‍य वजह है कि एक समय सुन्‍दर भाटी को कड़ी टक्‍कर देने वाले गिरोह का अस्तित्‍व आज खतरें में है। सुन्‍दर भाटी गिरोह के कड़े प्रतिद्वंदी अनिल दुजाना पुलिस एनकाउंटर में यूपीएसटीएफ ने मई 2023 में मेरठ में ढेर कर दिया था। वहीं, सुन्‍दर भाटी के एक अन्‍य प्रतिद्वंदी रणदीप भाटी गिरोह भी पुलिस कार्रवाई के कारण कमजोर ही हुआ है। हालांकि गौतम बुद्ध नगर पुलिस द्वारा सुन्‍दर भाटी गिरोह पर भी कार्रवाई की है। इस गिरोह के शॉर्प शूटर सन्‍दीप नागर को भी गौतम बुद्ध नगर पुलिस ने हाल ही में गिरफ्तार करने में कामयाबी हासिल की है। इसके बावजूद सुन्‍दर भाटी गिरोह अपने प्रति‍द्वंदियों की अपेक्षा मजबूत हुआ है। ऐसे में सुन्‍दर भाटी गिरोह से आमने सामने की गैंवार की स्थिति में दूसरे गिरोह दिखाई नहीं देते हैं।

वहीं, रवि काना गिरोह पुलिस कार्रवाई के बाद बहुत कमजोर हो चुका है। रवि काना और उसके गिरोह के कई बड़े लोग इस समय जेल में हैं। सरिया और स्‍क्रैप के अवैध कारोबार पर इस गिरोह की पकड़ पूर्व की अपेक्षा कमजोर हुई है। ऐसे में संभव है कि सुन्‍दर भाटी गिरोह एक बार फिर स्‍क्रैप, सरिया और ट्रांसपोर्ट के इस गोरखधंधे पर कब्‍जा करने का प्रयास करे। ऐसे में रवि काना उसके निशाने पर हो सकता है। हालांकि फिलहाल रवि काना सुन्‍दर भाटी को सीधी टक्‍कर देने की स्थिति में नहीं है।

सुन्‍दर भाटी गिरोह का नाम लॉरेंस बिश्नोई गिरोह से जुड़ना पुलिस के लिए बड़ी परेशानी का सबब

दरअसल, अण्‍डरवर्ल्‍ड डॉन लॉरेंस बिश्नोई से सुन्‍दर भाटी के जुड़ाव की खबरें भी आ रही है। यूपी के कुछ बड़े हत्‍याकांडों में भी दोनों गिरोह की संलिप्‍तता की खबरें आ रही हैं। लखनऊ में हुए ब्‍लॉक प्रमुख अजीत हत्‍याकांड़ में लॉरेंस बिश्नोई गिरोह के राजन जाट और सुन्‍दर भाटी गिरोह के राजेश तोमर ओर संदीप बाबा के शामिल थे। अपराध जगत में लॉरेंस बिश्नोई और सुन्‍दर भाटी गिरोह के जुड़ाव की खबरें ही गौतम बुद्ध नगर पुलिस को परेशान कर रही हैं। यदि दोनों गिरोह के जुड़ाव की खबरें सही हैं तो गौतम बुद्ध नगर में लॉरेंस बिश्नोई गिरोह का दखल तेजी से बढ़ सकता है।

उत्‍तर प्रदेश की शो विंडो और आर्थिक राजधानी गौतम बुद्ध नगर के लिए दोनों गिरोह का जुड़ाव शुभ संकेत नहीं है

यदि सुन्‍दर भाटी गिरोह और लॉरेंस बिश्नोई गिरोह के बीच जुड़ाव की खबर ही है तो यह उत्‍तर प्रदेश की शो विंडो और आर्थिक राजधानी गौतम बुद्ध नगर के लिए शुभ संकेत नहीं है। लॉरेंस बिश्नोई गिरेाह जिस तरह से अपराधिक वारदातों को अंजाम देता है, वह पुलिस के लिए काफी चुनौतीपूर्ण होता है। लॉरेंस बिश्नोई गिरोह अधिकांशत: ऑनलाइन और फोन पर ही शूटरों से संपर्क कर वारदातों को अंजाम देता है। पुलिस को इसके बारे में कोई जानकारी नहीं होती है। लॉरेंस बिश्नोई गिरोह ऐसे लोगों से अपराधिक वारदातों को अंजाम दिलवाता है जिनका पूर्व में कोई अपराधिक रिकार्ड नहीं होता है। उसके गिरोह में हजारों की संख्‍या में अनजान शूटर जुड़े हए हैं जो बड़ी आसानी से वारदात को अंजाम देते हैं। यहीं कारण है कि पुलिस को अपराधी तक पहुंचने में काफी मशक्‍कत करनी पड़ती है।

नेशनल क्राइम कैपिटल के नाम से शुमार हो गया था गौतम बुद्ध नगर

गौतम बुद्ध नगर ने अपरा‍ध के एक ऐसे दौर को देखा है जब गौतम बुद्ध नगर को एनसीआर अर्थात नेशनल क्राइम कैपिटल के रूप में परिभाषित किया जाने लगा था। यहां के अपराधिक गिरोह के निशाने पर कंपनी, कारोबारी और व्‍यापारी थे। इन गिरोह के भय के कारण निवेशक गौतम बुद्ध नगर को छोड़कर हरियाणा, हिमाचल और उत्‍तराखंड का रूख करने लगे थे। जिले के कई व्‍यापारी एवं कारोबारी गाजियाबाद, दिल्‍ली और गुजरात चले गए। एसटीएफ की पश्चिमी यूनिट का गौतम बुद्ध नगर में कार्यालय खुलना इस बात को स्‍पष्‍ट करता है कि उस दौर में इस जिले में अपराध की क्‍या दशा था। उत्‍तर प्रदेश में सत्‍ता परिवर्तन के बाद मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ ने गौतम बुद्ध नगर के निवेशकों को सुरक्षा का भरोसा दिया। गौतम बुद्ध नगर को कमिश्नरेट बनाया। इसके बाद से लगातार अपराध के गिराफ में तेजी से गिरावट आई है। लेकिन सुन्‍दर भाटी की रिहाई और इस गिरोह का लॉरेंस बिश्नोई‍ गिरोह से जुड़ाव कई तरह की आशंकाओं को जन्‍म देता है। इस बात की चर्चाएं भी शुरू हो गई हैं। यह पुलिस के‍ लिए भी एक चुनौती ही होगी।

लॉरेंस बिश्नोई जैसी अपराधिक शैली से बुद्ध नगर पुलिस का हो चुका है सामना, बना परेशानी का सबब

ऐसा नहीं है कि गौतम बुद्ध नगर पुलिस का लॉरेंस बिश्नोई गिरोह जैसी अपराधिक शैली से सामना नहीं हुआ है। लगभग एक दशक का दौर में सुन्‍दर भाटी, रणदीप भाटी और अनिल दुजाना गिरोह अपने चरम पर थे। कारोबारियों, उद्योगपतियों, कंपनियों और व्‍यापारियों से रंगदारी और वसूली एक कारोबार का रूप ले चुका था। ट्रांसपोर्ट, प्रॉपर्टी पर कब्‍जा करना सरिया के कारोबार पर कब्‍जा करने के लिए इन गिरोहों में वर्चस्‍व की जंग लडी जा रही थी। हर एक गिरोह ने खुद को मजबूत करने के लिए ने उत्‍तर प्रदेश एवं दूसरे राज्‍यों के अपराधिक गिरोह के साथ गठजोड़ कर लिया था। इस दौर में अनिल दुजाना गिरोह लॉरेंस बिश्नोई गिरोह की तर्ज पर ही वारदातों को अंजाम देता था। सुन्‍दर भाटी, रणदीप भाटी गिरोह की अपेक्षा अनिल दुजाना गिरोह के पास ऐसे शूटर होते थे जिनका कोई अपराधिक रिकार्ड नहीं होता था। तीनों गिरोह में अनिल दुजाना तेजी से युवाओं को अपने गिरोह में शामिल किया था। यहां तक कि युवा वर्ग अनिल दुजाना को रोल मॉडल के तौर पर देखने लगा था। यह पुलिस के लिए काफी परेशानी का सबब बना था। पुलिस के कई अधिकारी अनौपचारिक बातचीत में इस बात को कहते थे कि जिस अनिल दुजाना गिरोह के अपराधियों का कोई अपराधिक रिकार्ड न होने के कारण अपराधियों तक पहुंचना आसान नहीं होता है।

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