ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण

जमीन एवं राजस्‍व के मामलों में लेखपाल की अहम भूमिका होती है, ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के लेखपाल की तो बात ही अलग है

Lekhpal plays an important role in land and revenue matters, the case of Lekhpal of Greater Noida Authority is different altogether

Panchayat 24 : एक लेखपाल गांव के एक रास्ते से गुजर रहे थे। तभी एक कुत्ते ने लेखपाल को काट लिया। लेखपाल ने गुस्से से कुत्ते को देखकर कहा यदि तू आदमी होता तो तुझे बताता कि मै क्या चीज हूं। तूने किस्से पंगा लिया है। इस लघु कथा में हस्य के माध्यम से समाज में लेखपाल के पद की प्रभावशीलता को व्यक्त किया गया है। दरअसल जमीन की नाप तौल पर लेखपाल को एकाधिकार प्राप्त होता है। किसी भी जमीनी विवाद में लेखपाल की भूमिका अहम होती है। उनकी नाप तौल पर ही राजस्व विभाग के अधिकारी अपना निर्णय लेते है। शायद यही कारण है कि किसानों के बीच लेखपाल का भौकाल आज भी टाइट है।

गौतम बुद्ध नगर में तेजी से हो रहे औद्योगिक एवं नगरीय विकास के कारण जमीन का बड़े पैमाने पर अधिग्रहण किया गया है। जमीन तेजी से घाट रही है। लोगों के मन में अपने और आने वाली पीढियों के लिए घर मकान की चिंता के कारण असुरक्षा का भाव पैदा कर दिया है। परिणामस्‍वरूप लोग अधिक से अधिक अपनी आबादी बचाने के लिए जमीनों को घेराबंदी कर रहे है। ऐसे में व्यक्ति-ंव्यक्ति और व्यक्ति प्राधिकारणों के बीच तेजी से विवाद पैदा हो रहे हैं। इस बीच लेखपालों की भूमिका को लेकर भी चर्चा होती रही है। जिला प्रशासन हो या प्राधिकरण, कई मामलों में तो लेखपालों की भूमिका संदिग्ध रही है। उनके ऊपर भ्रष्‍टाचार के आरोप लगते रहे हैं।

हाल ही में ग्रेटर नोएडा वेस्‍ट में 130 मीटर सड़क के उत्‍तर में स्थित एक गांव में एक मामला प्रकाश में आया है। यहां दबंग एवं प्रभावशाली लोगों ने प्राधिकरण की नियोजित जमीन पर अवैध कब्‍जा करके अतिक्रमण कर लिया गया था। मामला प्राधिकरण के आला अधिकारियों के संज्ञान में आया तो सर्किल प्रभारी को अवैध कब्‍जा हटाकर अतिक्रमण पर तुरन्‍त कार्रवाई करने की बात कही। कार्रवाई की रूप रेखा तैयार की गई। प्राधिकरण की टीम मौके पर पहुंच गई। लोगों ने प्राधिकरण की टीम का विरोध किया। लेखपाल को मौके पर बुलाया गया। लेखपाल को जमीन की पैमाइश करने के लिए कहा गया। लेखपाल ने मौके पर मौजूद अधिकारियों के निर्देशों की अवहेला करते हुए पैमाइश करने से इंकार कर दिया। सूत्रों की माने तो अधिकारियों ने वरिष्‍ठ अधिकारियों के आदेश का पालन करने की बात कही तो लेखपाल ने वरिष्‍ठ अधिकारियों को ही मौके पर आकर पैमाइश करने की बात कह दी। प्राधिकरण के इन अधिकारियों के सामने लेखपाल की बात का कोई जवाब नहीं था। अतिक्रमण एवं अवैध निर्माण पर कार्रवाई करने गई टीम को खाली हाथ वापस लौटना पड़ा।

यहाँ एक बात ध्यान देने योग्य है की प्राधिकरण में एक बात की चर्चा आम है कि अधिकारियों की योजनाओं और आदेशों को प्राधिकरण की फील्ड यूनिट खूब प्लीता लगा रही है। इनकी मिली भगत से ही अतिक्रमण और जमीन पर अवैध कब्जा तक किया जा रहा है। जानकारों की माने तो प्राधिकरण के कुछ बाबू और अधिकारियों का ऐसे अधिकारियों एवं कर्मचारियों को प्रत्‍यक्ष अथवा अप्रत्‍यक्ष समर्थन रहता है। कुछ लोगों का तो यहाँ तक कहना है कि कुछ जमीनी विवाद तो लेखपालों की ही देन हैं। हालांकि ऐसा भी नहीं है कि प्राधिकरण के भ्रष्‍टाचार की जननी लेखपाल ही है। कुछ लेखपालों की कार गुजारियां इसका अंश मात्र है। फिर भी तेजी से बढ़ते जमीनी विवादों में लेखपाल की रिपोर्ट ही यह तय करती है कि न्याय की दिशा किस ओर होगी।

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