राज्यसभा में गुंजेगी कुमार विश्वास की आवाज ? जानिए कुमार विश्वास के सहारे किस लक्ष्य को साधना चाहती है भाजपा
Will Kumar Vishwas' voice resonate in Rajya Sabha? Know which goal BJP wants to achieve with the help of Kumar Vishwas

Panchayat 24 : देश के प्रसिद्ध कवियों में शुमार किए जाने वाले कुमार विश्वास को भारतीय जनता पार्टी राज्यसभा भेज सकती है। पार्टी कुमार विश्वास को राज्यसभा भेजकर एक तीर से कई निशाने साधना चाहती है। बता दें कि कुमार विश्वास कई मौकों पर प्रधानमंत्री एवं भाजपा की नीतियों की तारीफ करते हुए देखे गए हैं। अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के बाद कुमार विश्वास के भाजपा में शामिल होने की खबरों को हवा मिली है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार राज्यभा जाने के सवाल पर कुमार विश्वास ने इंकार नहीं किया। हालांकि करीबी सूत्रों की माने तो इस बार कुमार विश्वास को मनाने में भाजपा कामयाब हो गई है। उन्हें भाजपा न केवल राज्यसभा भेज रही है, बल्कि लोकसभा चुनाव के बाद केन्द्र सरकार अथवा संगठन में अहम जिम्मेवारी भी मिल सकती है। सूत्रों के अनुसार भाजपा ने पार्टी टिकट पर कुमार विश्वास को गाजियाबाद से लोकसभा चुनाव लड़ाने पर भी विचार किया था। बाद में पार्टी नेतृत्व को उन्हें राज्यसभा भेजा जाना उपयुक्त विकल्प लगा है।
क्या है पूरा मामला ?
दरअसल, उत्तर प्रदेश में 10 राज्यसभा सीटें खाली हो रही हे। इनमें से सात सीटों पर भाजपा उम्मीदवारों के सीधे तौर पर चुने जाने की पूरी संभावना है। राज्यभा सीटों के चुनाव को लेकर मुख्यमुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आवास पर भाजपा की कोर ग्रुप की एक बैठक हुई है। इसमें पार्टी के 35 नामों का एक पैनल तैयार किया गया है। इस पैनल को केन्द्रीय नेतृत्व के पास भेजा जाएगा। जानकारों की माने तो इस पैनल में कुछ पुराने और कुछ नए नामों को शामिल किया गया है। बताया जाता है कि पुराने नामों में से पार्टी ने सुधांशु त्रिवेदी और विजयपाल सिंह तोमर के नाम को शामिल किया है। वहीं, नए नामों में पार्टी संगठन से जुड़े कुछ नाम शामिल है। केन्द्रीय नेतृत्व द्वारा अंतिम मुहर लगाए जाने के बाद 13 फरवरी तक राज्यसभा प्रत्याशियों की अंतिम सूची आ जाएगी। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार इन नामों में कुमार विश्वास का नाम शामिल है। उनके नाम पर कोर ग्रुप की बैठक में चर्चा हुई। इनके नामों पर सहमति भी बन चुकी है।
राज्यसभा में भाजपा के पक्ष को मिलेगा बल
हालांकि पूर्व में भी कुमार विश्वास के भाजपा में शामिल होने और राज्यसभा भेजे जाने की खूब चर्चा हुई थी। इस बार कुमार विश्वास को राज्यसभा भेजे जाने की खबरों को अधिक बल मिल रहा है। लेकिन कुमार विश्वास इस विषय पर चुप्पी साधे हुए हैं। वह राजस्थान के भीनमाल में 9 फरवरी तक रामकथा का पाठ कर रहे हैं। यदि कुमार विश्वास को भाजपा राज्यसभा भेजती है तो वर्तमान परिस्थितियों में वह सदन में भाजपा का मुखरता से पक्ष रखने वाले और विपक्षी हमलो का अपने अंदाज में जवाब देने वाले सुधांशु त्रिवेदी के साथ मिलकर इस काम को धार देंगे। बता दें कि कुमार विश्वास की वाक्यपटुता सुधांशु त्रिवेदी से बहुत हद तक मिलती जुलती है। दोनों की संवाद शैली भी एकसमान है। यदि राज्यसभा में दोनों पार्टी की ओर से विपक्ष के सवालों का जवाब देंगे तो यह अधिक प्रभावी होगा।
दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा के लिए निभाएंगे बड़ी भूमिका ?
दरअसल, देश में भाजपा बड़ी राजनीतिक शक्ति बन चुकी है। इसके बावजूद दिल्ली में भाजपा एडी चोटी का जोर लगाने के बाद भी आम आदमी पार्टी की सरकार को दिल्ली की सत्ता से बाहर नहीं कर सकी है। कई दिग्गज चेहरों को दिल्ली में अरविन्द केजरीवाल के खिलाफ आजमाया गया, लेकिन कामयाबी नहीं मिल सकी है। दिल्ली की जनता के बीच अरविन्द केजरीवाल की मजबूत पकड़ के आगे भाजपा के सभी दांव विफल हो गए। ऐसे में कुमार विश्वास अरविन्द केजरीवाल के खिलाफ भाजपा के लिए लोहे से लोहा काटने का काम कर सकते है।
बता दें कि कुमार विश्वास के राजनीतिक जीवन की शुरूआत उसी अन्ना हजारे आन्दोलन से हुई थी जिससे अरविन्द केजरीवाल, संजय सिंह, मनीष सिसोदिया और आम आदमी पार्टी का जन्म हुआ था। इन सभी के गुरू अन्ना हजारे ही है। बाद में पार्टी की नीतियों को लेकर उभरे मतभेदों के चलते कुमार विश्वास ने खुद को आम आदमी पार्टी और अरविन्द केजरीवाल से अलग कर लिया। अन्ना हजारे आन्दोलन और आम आदमी पार्टी से युवाओं को जोड़ने का श्रेय कुमार विश्वास को जाता है। उनकी कविताएंं आज भी युवाओं के बीच काफी लोकप्रिय है। वहीं, उनका रामकथा पाठ लोगों को काफी पसंद आता है। वह जबरदस्त वक्ता भी है। ऐसे में भाजपा कुमार विश्वास के चहरे को आगे करके दिल्ली विधानसभा चुनाव की रणनीति पर काम कर सकती है। वहीं, अरविन्द केरीवाल कुमार विश्वास के सामने बहुत अधिक प्रभावी स्थिति में नहीं होंगे। बता दें कि पंजाब चुनाव के समय भी अरविन्द केरीवाल पर खालिस्तानी गुटों से सहयोग प्राप्त करने की बात कहकर कुमार विश्वास ने उन्हें असहज कर दिया था।