ग्रेटर नोएडा जोन

जिले में स्‍क्रैप का कारोबार करना है तो दादुपुर वाले राजकुमार के दरबार में हाजिरी लगाओ

If you want to do scrap business in the district, then attendance will have to be made in the court of the prince of Dadupur.

Panchayat 24 : जिले में स्‍क्रैप का कारोबार करना है तो दादुपुर वाले राजकुमार से जाकर मिल लो। यह किसी फिल्‍म का डॉयलॉग नहीं है। बल्कि ग्रेटर नोएडा के कासना थाने में दर्ज कराई गई एफआईआर की चंद लाइनें हैं। दरअसल, बीते 1 अगस्‍त को कुछ लोगों ने एक ट्रक के चालक और खलासी को हथियारों के बल पर बंधक बनाकर सारा स्‍क्रैप एक गोदाम पर खाली कर लिया था। बाद में स्‍क्रैप व्‍यापारी को धमकाया गया था। हालांकि जब मामला मीडिया में उछला तो स्‍क्रैप कारोबारी को लौटा दिया गया। पीडित कारोबारी को नसीहत दी गई, यदि जिले में स्‍क्रैप का कारोबार करना है तो राजकुमार से मिल लो। घटना के तीन दिन बाद पुलिस पीडित स्‍क्रैप कारोबारी की तहरीर पर मामला दर्ज कर लिया है। डीसीपी ग्रेटर नोएडा जोन अभिषेक वर्मा का कहना है कि मामले की जांच
की जा रही है। जांच के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।

क्‍या है पूरा मामला ?

जानकारी के अनुसार मूलरूप से दादरी निवासी आरिफ एक स्‍क्रैप कारोबारी है। उसका सूरजपुर में गोदाम हैं। बीते सोमवार को आरिफ ने अपने चालक मोनू और खलासी आबिद को ट्रक लेकर ग्रेटर नोएडा साईट-5 में स्थित एस एच पैकर्स कम्‍पनी से गत्‍ते का स्‍क्रैप लेने के लिए भेजा था। चालक गाड़ी में स्‍क्रैप लोड कर कम्‍पनी से निकला गया। कुछ दूर पहुंचने पर पीछे से आई एक ईको कार सवार 7 लोगों ने ट्रक को रोक लिया। चालक और खलासी को धमकाते हुए यदि जिले में स्‍क्रैप का कारोबार करना है तो दादुपुर वाले राजकुमार को पैसे देने होंगे। तभी स्‍क्रैप का कारोबार करना संभव है। पीडित स्‍क्रैप कारोबारी ने पुलिस को बताया कि इन युवकों ने जबरन चालक और खलासी को अपनी गाड़ी में बैठा लिया। ट्रक को अपने कब्‍जे में ले लिया और ट्रक में लदे माल को अमन नामक एक व्‍यक्ति के गोदाम पर खाली कर दिया।

आरोपियों ने चालक और खलासी को ट्रक सौंपकर वहां से धमकी देते हुए भेज दिया। घटना की सूचना होने पर पीडित कारोबारी ने अमन से उसके गोदाम पर जाकर मुलाकात की। हालांकि अमन ने मुझे मेरा माल लौटा दिया, लेकिन मुझे धमकी भरे अंदाज में कहा कि यदि जिले में स्‍क्रैप का कारोबार करना है तो दादुपुर वाले राजकुमार से मिल लो। तभी इस कारोबार को कर पाओगे।

दो नामजद सहित 9 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज

पुलिस ने पीडित स्‍क्रैप कारोबारी आरिफ की तहरीर पर दादुपुर गांव निवासी राजकुमार और अमन के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है। वहीं पुलिस ने मामले में सात अन्‍य अज्ञात लोगों के खिलाफ भी मामला दर्ज किया है। इस घटना ने पुलिस के माफिया मुक्‍त गौतम बुद्ध नगर के दावे की हवा निकाल दी है।

पुलिस मामले को लूट का नहीं मान रही है

पुलिस ने पीडित की तहरीर पर दो नामजद सहित कुल 9 लोगों के खिलाफ बंधक बनाने और रंगदारी का मामला दर्ज किया है। पुलिस प्राथमिक तौर पर मामले को लूट से जुड़ा हुआ नहीं मान रही हे। जबकि पीडित ने तहरीर में कहा है कि उसके चालक मोनू और खलासी आबिद को कार सवार 7 लोगों ने जबरन अपनी कार में बिठा लिया और ट्रक में लदा हुआ स्‍क्रैप अपने किसी परिचित के गोदाम पर खाली कराने के बाद ट्रक चालक और खलासी को सौंप दिया।

दोनों पक्षों के बीच हो गया है समझौता, पुलिस ने बोला झूठ ?

दरअसल, बीते 1 अगस्‍त को हुई इस घटना के बाद पीडित ने पुलिस को मामले की सूचना दी थी। पुलिस ने काफी देर तक इसके बारे में कोई सूचना नहीं दी। जब मीडिया के लोगों ने इसके बारे में पूछताछ की तो पुलिस के द्वारा अपने अधिकारिक बयान में कहा गया कि पीडित की सूचना पर पुलिस ने तुरन्‍त मामले में कार्रवाई की।

जांच में स्‍क्रैप लूट की सूचना गलत निकली। पीडित कारोबारी आरिफ ने बताया कि दरअसल मेरा और मन के बीच पैसों के लेनदेन को लेकर विवाद था। अब हमारे बीच समझौता हो गया है। पुलिस के अनुसार आरिफ ने पुलिस से मामले में आगे कोई भी कार्रवाई नहीं करने की बात कही थी। लेकिन वीरवार को पीडित कारोबारी आरिफ ने पुलिस को मामले की लिखित तहरीर दी। पुलिस ने मामला दर्ज भी कर लिया। अब सवाल उठता है कि जब मामला पैसों के लेनदेन का था तो आज मामला रंगदारी और धमकाने मामला कैसे दर्ज हो गया ? यदि मामला वाकई में स्‍क्रैप लूट, धमकाने और रंगदारी का था तो पुलिस ने झूठा बयान क्‍यों दिया ?

कौन है दादुपुर का राजकुमार ? 

राजकुमार नागर ग्रेटर नोएडा के दादुपुर गांव का रहने वाला है। वह भाजपा की महिला नेता बेवन नागर का देवर बताया जाता है। बेवन नागर ने विधानसभा चुनाव 2022 से पूर्व ही समाजवादी पार्टी छोड़कर भाजपा पार्टी ज्‍वाइंन की थी। उनके पति हरेन्‍द्र नागर समाजवादी पार्टी से जुड़े रहे थे। बता दे कि राजकुमार नागर का बेहद करीबी व्‍यक्ति को साल 2018 में बिसरख कोतवाली पुलिस ने सरिया के अवैध कारोबार के आरोप में गिरफ्तार किया था। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार उस समय पुलिस ने आरोपी के ठिकानों से कई लाख का अवैध सरिया बरामद किया था।

गौतम बुद्ध नगर की नब्‍ज की जानकारी रखने वाले लोगों की माने तो जिले में स्‍क्रैप और अवैध सरिया कारोबार का गोरखधंधा अभी भी बड़े पैमाने पर चल है। प्रदेश की सरकार की कड़े तेवरों को देखते हुए इन गोरखधंधों से जुड़े लोगों ने अपनी शैली बदल ली है। इन माफियाओं ने सीधे टकराने और धमकाने के स्‍थान पर चुप रहकर अपने कारोबार को बढ़ाया जा रहा है। यह एक नैक्‍सस है जिसमें कारोबारी, अपराधी, माफिया, नेता और अधिकारी प्रत्‍यक्ष अप्रत्‍यक्ष तौर पर दखल रखते हैं। स्‍क्रैप का कारोबार नेताओं, अधिकारियों और माफियाओं के संरक्षण में ही फल फूल रहा है।

गौतम बुद्ध नगर का स्‍क्रैप उगलता है सोना

दरअसल, गौतम बुद्ध नगर एक ओद्योगिक नगरी है। यहां पर हजारों की संख्‍या में उद्योग स्थित हैं। इनसे निकले वाला स्‍क्रैप का कारोबार अरबों रूपयों का है। ऐसे में कारोबारी, अपराधी, नेता और अधिकारी इस कारोबार में दिलचस्‍पी रखते हैं। जानकार यह भी बताते हैं कि गौतम बुद्ध नगर के स्‍क्रैप और अवैध सरिया कारोबार का मोह लखनऊ में बैठे बड़े छोटे नेताओं और अधिकारियों को भी रहता है। जानकार बताते हैं कि स्‍क्रैप कारोबारी कम्‍पनियों से निकलने वाले स्‍क्रैप का ठेका पाने के लिए लखनऊ के सत्‍ता के गलियारों में भी चक्‍कर लगाते हुए देखे जा सकते हैं।

स्‍क्रैप और अवैध सरिया कारोबार को लेकर हो चुकी हैं गैंगवार

गौतम बुद्ध नगर में स्‍क्रैप और अवैध सरिया कारोबार को जिले में गैंगवार हो चुकी है। इस दौरान कई लोगों की जान भी जा चुकी है। दरअसल, एक समय था जब जिले में सुन्‍दर भाटी, अनिल दुजाना और रणदीप भाटी गिरोह की सक्रियता होती थी। इनके द्वारा क्षेत्र में होने वाले अवैघ कारोबार स्‍क्रैप, सरिया और कंस्‍ट्रक्‍शन के कारोबार पर कब्‍जा होता था। जिले के अलग अलग क्षेत्रों में इनकी मर्जी के बिना कोई भी काम नहीं होता था। हालांकि वर्तमान में इन गिरोहों की सक्रियता तो नहीं है, लेकिन जानकार बताते हैं कि गुपचुप तरीके से यह गिरोह आज भी अपनी सक्रियता बनाए हुए हैं। कासना कोतवाली क्षेत्र में बीते 1 अक्‍तूबर को हुई स्‍क्रैप लूट की घटना इस बात की ओर इशारा करती है।

अपराध की कमर तोड़ने के लिए एसटीएफ और माफियाराज खत्‍म करने के लिए शुरू हुआ कमिश्‍नरेट सिस्‍टम

बता दें कि गौतम बुद्ध नगर में रंगदारी, स्‍क्रैप, अवैध  रूप से सरिया कारोबार, अवैध खनन और धमकाकर कंस्‍ट्रक्‍शन के काम हासिल करने जैसे अवैध कारोबार जोर शोर से किया जा रहा था। अवैध तरीके से इन कामों को माफियाओं ने धनबल, अपराधियों और नेताओं के समर्थन से अपने कब्‍जे में ले लिया। जिले में स्थिति उस समय अनियंत्रित हो गई जब इन क्षेत्रों से कानूनी तौर पर काम करने वाले लोग धीरे- धीरे बाहर हो गए। यदि किसी को इन क्षेत्रों मेंं जिले में काम चाहिए तो कुख्‍यात और माननीयों का आशीर्वाद जरूरी हो गया। एक समय ऐसा भी आ गया जब अपराधिक गिरोहों ने अपना वर्चास्‍व कायम करने के लिए एक दूसरे के क्षेत्र में जाकर हस्‍तक्षेप करना शुरू कर दिया। परिणमस्‍वरूप जिले में गैंगवार शुरू हुआ और हत्‍याएं हुई। स्थिति जब बेकाबू हो गई। अपराधिक गिरोहों की कमर तोड़ने के लिए 2014-15 में तत्‍कालीन मुख्‍यमंत्री अखिलेश यादव की सरकार ने एसटीएफ पश्चिम उत्‍तर प्रदेश शाखा का गौतम बुद्ध नगर में कार्यालय स्‍थपित किया। वहीं साल 2017 के चुनाव के बाद मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ ने गौतम बुद्ध नगर से हर तरह के माफियाराज को समाप्‍त करने के लिए यहां पर कमिश्‍नरेट सिस्‍टम शुरू किया। लेकिन कासना कोतवाली क्षेत्र में घटी घटना ने गौतम बुद्ध नगर पुलिस कमिश्‍नरेट पर भी सवालिया निशान लगा दिया है।

इस तरह की घटनाएं जिले में पूंजी निवेश को प्रभावित करती हैं

उत्‍तर प्रदेश में साल 2017 में योगी आदित्‍यनाथ की सरकार के गठन के बाद से ही नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना एक्‍सप्रेस-वे प्राधिकरण क्षेत्र को दुनिया भर में उत्‍तर प्रदेश के विकास के मॉडल के रूप में पेश किया गया। मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ उत्‍तर प्रदेश में बड़े पैमाने पर देश दुनिया से पूंजी निवेश प्रदेश में ला रहे हैं। इसमें गौतम बुद्ध नगर निवेशकों की पहली पसंद बनी हुई है। ऐसे में यदि पर्दे के पीछे छिपकर माफिया अपनी इच्‍छाओं को अंजाम देते रहेंगे तो इसका प्रभाव पूंजी निवेशकों पर पड़ेगा। दरअसल, निवेशक ऐसे स्‍थान पर पूंजी निवेश करना चाहते हैं, जहां पर उन्‍हें, उनकी पूंजी और उनके कर्मचारियों को सुरक्षित माहौल मिले। बता दें कि साल 2014 से पूर्व गौतम बुद्ध नगर में अपराध अपने चरम पर था। निवेशक नोएडा और ग्रेटर नोएडा में निवेश करने से डरने लगे थे। कई बड़ी कम्‍पनियां नोएडा और ग्रेटर नोएडा को छोड़कर उत्‍तराखंड, गुरूग्राम और हिमाचल चली गई थी। वहीं निवेशक नोएडा और ग्रेटर नोएडा की अपेक्षा गुरूग्राम और देश के दूसरे शहरों में निवेश को प्राथमिकता देने लगे थे।

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