यदि आप भी जमीन खरीदने की कर रहे हैं तो रहे सावधान। आपके लिए काम की हो सकती है यह खबर
If you are also planning to buy land, be careful. This news may be of use to you
Panchayat 24 : यदि आप भी प्रॉपर्टी खरीदने जा रहे हैं तो जांच ले कहीं आप भी तो किसी फर्जी तरीके से जमीन के दस्तावेज तैयार कराकर फर्जी तरीके से जमीन का बैनामा कराने वाले गिरोह का शिकार होकर अपनी जीवन भर की गाढ़ी कमाई तो नहीं लुटा रहे हैं। जी, हां क्षेत्र में ऐसा गिरोह सक्रिय हैं। जेवर पुलिस ने बुधवार को ऐसे ही गिरोह के तीन सक्रिय सदस्यों प्रहलाद सिंह, अतर सिंह और पिंकी को खुर्जा अण्डरपास से गिरफ्तारकर कोर्ट में पेश किया है। अमित कुमार नाम का एक आरोपी अभी फरार चल रहा है। पुलिस फरार आरोपी की तलाश कर रही हे। पुलिस ने आरोपियों के पास से फर्जी आधार कार्ड, पैन कार्ड, वादी महिला के खेत की खतौनी की नकल बरामद की है। पुलिस ने आरोपियों को कानूनी कार्रवाई के बाद कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया। मामला जेवर कोतवाली क्षेत्र का है।
क्या है पूरा मामला
जानकारी के अनुसार जिला बुलन्दशहर के सिकोही गांव निवासी अतर सिंह हत्या के आरोप में गाजियाबाद के डासना में स्थित जिला कारागर में बंद था। जेल में ही इसकी मुलाकात जेवर के नीमका गांव निवासी अमित उर्फ शोभा उर्फ जेपी से हुई थी। दोनों के बीच दोस्ती हो गई। जेल से बाहर आने पर दोनों ने फर्जीवाड़ा एवं धोखाधड़ी का कार्य शुरू कर दिया। अतर सिंह ने ही अमित की मुलाकात पिंकी निवासी छपरौला और प्रहलाद सिंह से कराई थी। प्रहलाद सिंह प्रॉपर्टी का काम करता था। चारों ने मिलकर वीरवती निवासी गेझा की बांकापुर में स्थित 14 बीघा जमीन को फर्जी दस्तावेज तैयार कर बेचने की साजिश रची थी। बीते 1 अगस्त को रजिस्ट्रार कार्यालय जेवर पर पीडिता वीरवती पत्नी स्वर्गीय जगत सिंह बनकर उनकी बांकापुर स्थित4 बीघा जमीन को बेचने का प्रयास किया था। वीरवती के स्थान पर पिंकी का फोटो लगाकर उसके फर्जी पेनकार्ड, आधार कार्ड तैयार कर जमीन को बेचने का प्रयास किया था। पुलिस ने बुधवार को प्रहलाद, पिंकी और अतर सिंह को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है।
जेवर में सम्पत्ति खरीदने के लालच में लोग आसानी से शिकार बनते है
जानकारों की माने तो जेवर में जब से एयरपोर्ट निर्माण की घोषणा हुई थी, तभी से देश भर के लोगों का जेवर के आसपास सम्पत्ति खरीने का सपना होता है। ऐसे लोग आसानी से इस गिरोह के आसान शिकार बन जाते हैं। ऐसे लोगों द्वारा गहन पूछताछ एवं पड़ताल के ही फर्जीवाड़ा करने वालों की बात पर आसानी से विश्वास कर लिया जाता है।