स्पेशल स्टोरी

यीडा के नए सीईओ के सामने चुनौती : आवंटित भूखंडों पर उद्योग शुरू होंगे तभी लाखों युवाओं का रोजगार मिलेंगे

Challenge before the new CEO of YIDA: Only when industries are started on the allotted plots will lakhs of youth get employment

डॉ देवेन्‍द्र कुमार शर्मा

Panchayat 24 : उत्‍तर प्रदेश सरकार के वन ट्रिलियन डालर की अर्थव्‍यवस्‍था के लिए यमुना एक्‍सप्रेस-नवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण की महत्‍वपूर्ण भूमिका मानी जा रही है। इस क्षेत्र को निवेशकों के लिए अपार संभावनाओं वाला माना जा रहा है। जेवर में अन्‍तर्राष्‍ट्रीय एयरपोर्ट के निर्माण से ऐसी संभावनाओं को पंख लग गए हैं। सरकार और यमुना औद्योगिक विकास प्राधिकरण लगातार दावें करती करता रहा है कि यहां पर लाखों लोगों को रोजगार के अवसर उपलब्‍ध होंगे। रोजगार की भरपूर संभावनाओं के चलते देश भर के युवाओं की नजरें यहां टिकी हुई हैं। यमुना एक्‍सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण के औद्योगिक विकास को लेकर सरकार की गंभीरता को इससे ही समझा जा सकता है कि यूपी इन्‍वेस्‍ट के एसीईओ शशांक चौधरी अपनी टीम के साथ प्राधिकरण कार्यालय पहुंचे और लगभग दो घंटों तक आला अधिकारियों संग चर्चा की।

यह दुर्भाग्‍य की बात है कि अभी तक न उत्‍तर प्रदेश के वन ट्रिलियन वाली अर्थव्‍यवस्‍था के सपने में यमुना औद्योगिक विकास प्राधिकरण की न कोई अहम भूमिका ही दिखाई दे रही है और न ही रोजगार का सपना संजोए लोगों को उनका सपना साकार होता हुआ दिखाई दे रहा है। दरअसल, यमुना एक्‍सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण के पूर्व सीईओ डॉ अरूणवीर सिंह द्वारा भरपूर प्रयास किए गए कि उद्यमी इस क्षेत्र में अपने उद्योग स्‍थापित करें। उत्‍तर प्रदेश के मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ और डॉ अरूणवीर सिंह के प्रयासों का ही परिणाम था कि बड़ी मात्रा में निवेशकों ने यमुना एक्‍सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण क्षेत्र में निवेश के लिए मन बनाया है।

परिणाम स्‍वरूप प्राधिकरण क्षेत्र में लगभग तीन हजार से अधिक औद्योगिक इकाईयों के लिए भूखंड आवंटित किए जा चुके हैं। हालांकि किसी भी उद्योग की शुरूआत के लिए जमीन का आवंटन पहला चरण होता है। इस  चरण को डॉ अरूाणवीर सिंह ने सफलतापूर्वक पूरा किया। अब उनके कंधों पर इतनी ही तेजी से इन औद्योगिक इकाईयों की सुचारू रूप से शुरूआत करने की चुनौती थी। वह इस दिशा में प्रयास कर ही रहे थे कि उनके सेवानिवृत होने की घोषणा हो गई। बता दें कि डॉ अरूणवीर सिंह का पूर्व में प्राधिकरण के सीईओ पद पर सेवा विस्‍तार हो चुका था। इस बार सरकार ने उन्‍हें सेवा विस्‍तार का अवसर नहीं दिया।

नए सीईओ के तौर पर मुख्‍यमंत्री के सचिव राकेश कुमार सिंह को यमुना एक्‍सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण की कमान सौंपी गई। नया पदभार संभालते ही उनके सामने नोएडा अन्‍तर्राष्‍ट्रीय एयरपोर्ट के सफल उद्घाटन एवं संचालन, अन्‍तर्राष्‍ट्रीय फिल्‍म सिटी के साथ उन औद्योगिक इकाइयों को शुरू कराना भी एक चुनौती है जिन्‍हें डॉ अरूणवीर सिंह द्वारा भूखंड आवंटित किए गए हैं। औद्योगिक विकास के तौर पर यमुना एक्‍सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण की संतोषजनक नहीं है। प्राधिकरण अधिकारियों की माने तो वर्तमान में दस से कम औद्योगिक इकाईयां यहां सुचारू रूप से काम कर रही हैं।

हालांकि प्राधिकरण के नए सीईओ की सक्रियता के बाद कुछ और औद्योगिक इकाईयों को शुरू करने की दिशा में तेजी से काम शुरू हुआ है। फिर भी यह आंकड़ा प्राधिकरण के औद्योगिक विकास की परिकल्‍पना के सापेक्ष आंकड़ा ऊंट के मुंह में जीरा ही कहा जाएगा। प्राधिकरण और सरकार द्वारा लाखों बेरोजगारों को यहां रोजगार मुहैया कराने का सपना अभी दूर की कोड़ी है। ऐसे में राकेश कुमार सिंह के सामने औद्योगिक इकाईयों के लिए आवंटित भूखंडों पर उद्योग शुरू कराना और युवाओं के लिए भरपूर संख्‍या में रोजगार के अवसर मुहैया कराने की बड़ी चुनौती है। ऐसे में यह देखना  दिलचस्‍प होगा कि औद्योगिक विकास की जिस बुनियाद को पूर्व सीईओ डॉ अरूणवीर सिंह ने रखा है, उसके ऊपर राकेश कुमार सिंह किस तरह की इमारत खड़ी करते हैं ?

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