संगठित गिरोहों पर पुलिस की कार्रवाई के बावजूद जिले में दबे पांव आगे बढ़ रहा है रंगदारी का कारोबार ?
Despite police action against organized gangs, is the business of extortion progressing quietly in the district?

Panchayat 24 : गौतम बुद्ध नगर में अवैध उगाही और रंगदारी जैसे गैरकानूनी धंधों पर काबू पाने के लिए पुलिस ने लगातार बड़ी कार्रवाई को अंजाम दिया है। जिले के संगठित गिरोहों की पुलिस ने रीढ तोड़ने का काम किया है। इससे अवैध उगाही और रंगदारी से व्यापारियों और उद्योगपतियों को निजात जरूर मिली है। लेकिन गाजियाबद के एक लोहा कारोबारी से रवि काना गिरोह द्वारा 35 लाख की रंगदारी मांगने के बाद एक बार फिर साबित हो गया है कि गौतम बुद्ध नगर जिले में रंगदारी का धंधा पुलिस के बड़े दावों के बावजूद दबें पांव आगे बढ़ रहा है। रंगदारी एवं अवैध वसूली से जुड़ी अपराधिक गतिविधियां अभी भी जारी हैं।
क्या है पूरा मामला ?
दरअसल, ग्रेटर नोएडा जोन में स्थित सेक्टर बीटा-2 कोतवाली पुलिस ने वाहन तलाशी के दौरान गाजियाबाद के एक लोहा कारोबारी अनिल बंसल से 35 लाख की रकम बरामद की है। पुलिस पूछताछ के दौरान पता चला कि लोहा कारोबारी यह रकम स्क्रैप माफिया रवि काना गिरोह के सदस्यों शमशीर और मिंटू को देने के लिए जा रहा था। आरोपियों ने रंगदारी की रकम नहीं देने पर पीडित को कारोबार नहीं करने की धमकी दी थी। यह भी पता चला है कि पीडित लोहा कारोबारी एवं रवि काना गिरोह एक दूसरे से सरिया खरीदते और बेचते रहे हैं।
पिछले एक दशक में चरम पर पहुंचा है रंगदारी और अवैध वसूली का धंधा
गौतम बुद्ध नगर जिले में रंगदारी का उद्योग खूब फला फूला है। अधिकांशत: यह सब कुछ पर्दे के पीछे ही अधिक सक्रिय रहा है। लेकिन पिछले एक दशक में यहां यह गोरखधंधा अपने चरम पर पहुंच गया है। इसके केन्द्र में नोएडा, दादरी, ग्रेट नोएडा, कासना और दनकौर के उद्योगपति और कारोबारी रहे हैं। कई प्रतिष्ठित कारोबारियों को रंगदारी एवं अवैध वसूली नहीं देना अथवा विरोध करना भारी पड़ा है। कई लोगों की इसके कारण अपराधियों के कारण हत्या भी हो चुकी है। इस एक दशक में जिले में रणदीप भाटी, सुन्दर भाटी और अनिल दुजाना गिरोहों ने रंगदारी को एक धुंंधा बना दिया। प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से जिले के लगभग हर बड़े कारोबारी से किसी न किसी संगठित गिरोह द्वारा रंगदारी वसूली जाने लगी थी। कई बार कारोबारियों को दूसरे अपराधिक गिरोहों से संरक्षण प्राप्त करने के लिए किसी न किसी गिरोह की शरण में जाना ही पड़ता था, विशेषकर बाहर से आकर जिले में कारोबार करने वाले लोगों को। इसको लेकर इन गिरोहों के बीच कई बार गैंगवार भी होती रही थी। कई बार विवादों का निटपारा करने के लिए कारोबारी पुलिस की अपेक्षा अपराधिक गिरोहों की शरण में जाना अधिक सुविधाजनक लगने लगा था।
बिना शिकायत के पुलिस के लिए कार्रवाई करना बड़ी चुनौती
रंगदारी अथवा अवैध वसूली के मामले में शिकायत मिलने पर अथवा इस प्रकार का कोई मामला प्रकाश में आने पर पुलिस हर स्तर से कार्रवाई करके ऐसी संभावना को समाप्त करने का भरसक प्रयास करती है। ऐसे लोगों पर कठोर कार्रवाई भी पुलिस द्वारा की जाती है। इसके बावजूद यदि रंगदारी और अवैध वसूली जैसी घटनाएं सामने आती है तो यह पुलिस के लिए एक बड़ी चुनौती है। साथ ही ऐसी घटनाएं दर्शाती हैं कि पीडित भी पुलिस को इस प्रकार के मामले में शिकायत करने की अपेक्षा रंगदारी देना ही सही मानते हैं। यदि कोई कारोबारी पुलिस को शिकायत करने की अपेक्षा रंगदारी अथवा अवैध वसूली की रकम देना चाहता है तो इससे कई तरह की आशंकाएं भी पैदा होती हैंं। इसके पीछे कारोबारी का डर, लालच या फिर अपने किसी गुनाह को छिपाया जा रहा है। बहरहाल कुछ भी हो, यदि कोई कारोबारी पुलिस को शिकायत देने की अपेक्षा आरोपियों को रंगदारी अथवा अवैध वसूली की रकम दे रहा है तो वह ऐसा करके पुलिस की मुहिम को कमजोर कर रहा है। साथ ही अपराधियों के हौसलों को मजबूत कर रहा है।