राष्ट्रीयस्पेशल स्टोरी

बुलडोजर एक्‍शन : सुप्रीम कोर्ट ने तस्‍वीर आईने की तरह साफ कर दी है, अतिक्रमण और अपराधी की सम्‍पत्ति गिराना अलग बातें हैं

The Supreme Court has made the picture as clear as a mirror, encroachment and demolition of the property of a criminal are two different things

Panchayat 24 : देश भर में हो रही बुलडोजर कार्रवाई पर सुप्रीम कोर्ट ने तस्‍वीर को आईने की तरह साफ कर दिया है। कोर्ट ने स्‍पष्‍ट कर दिया है कि अवैध निर्माण और अपराधियों पर होने वाली बुलडोजर कार्रवाई अलग अलग बातें हैं। सुप्रीम कोर्ट ने बहुत ही बारीकी से बुलडोजर कार्रवाई का वर्गीकरण करते हुए कहा कि अपराधियों की सम्‍पत्तियों पर बुलडोजर कार्रवाई पर 17 सितंबर के आदेश में गई एक अक्‍टूबर तक की रोग आगे भी जारी रहेगी। सुप्रीम कोर्ट इस बारे में आवश्‍यक दिशा निर्देश जारी करेगी।

वहीं, सरकारी जमीन, बना कोई भी धार्मिक ढांचा, चाहे वह मंदिर हो, मस्जिद हो या फिर कोई दरगाह हो, उसको हटना ही होगा। सार्वजनिक हित सर्वोपरि है। यजस्टिस बीआर गवई और केवी विश्‍वनाथन की पीठ ने स्‍पष्‍ट करते हुए कहा है किऐसे निर्माणों पर ध्‍वस्‍तीकरण रोक का अंतिरम आदेश लागू नहीं होगा।  सार्वजनिक हित सर्वोपरि है। कोर्ट जो भी तय कर रहा है, वह सभी संस्‍थाओं और व्‍यक्तियों के लिए है। किसी समुदाय विशेष के लिए नहीं है। किसी समुदाय विशेष के लिए अलग से कानून नहीं हो सकता।

जमीयत उलेमा ए हिन्‍द एवं अन्‍य के द्वारा सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करते हुए यह मांग की गई थी कि राज्‍य सरकारों को यह निर्देश दे कि दंगा एवं हिंसा के आरोपियों की संपत्तियों को आगे न गिराए। सुप्रीम कोर्ट ने जिस तरह से याचिका पर अपनी बातें कहीं हैं उससे लगता नहीं है कि अपराधियों के खिलाफ राज्‍य सरकारों की कार्रवाई पर कोई प्रभाव पड़ेगा। राज्‍य सरकारें इस बात को कहती आई है कि वह कानून के दायरें में रहकर निर्माण को गिरा रही है। राज्‍य सरकारों की कार्रवाई में कहीं पर भी इस बात का जिक्र नहीं होता है कि किसी भी निर्माण को इस लिए गिराया जा रहा है कि वह किसी अपराधी से जुड़ा हुआ है। अभी तक राज्‍य सरकारों की कार्रवाई में यह देखने में आया है कि जिस भी निर्माण पर बुलडोजर चला है, वह सरकारी जमीन पर अतिक्रमण करके बनाया गया है।

दरअसल, देश भर में उत्‍तर प्रदेश सरकार द्वारा अवैध निर्माण और अपराधियों की सम्‍पपत्तियों पर बुलडोजर कार्रवाई देश भर में चर्चा का केन्‍द्र बनी हुई है। उत्‍तर प्रदेश सरकार की देखा देख उत्‍तराखंड, मध्‍य प्रदेश और असम की सरकारें भी बुलडोजर कार्रवाई को तेजी से आगे बढ़ा रही है। हालांकि ऐसा नहीं है कि पूर्व में किसी देश के किसी अन्‍य राज्‍य में सरकारों ने बुलडोजर कार्रवाई को अंजाम नहीं दिया है। लेकिन वर्तमान में भाजपा शासित राज्‍यों में हो रही बुलडोजर कार्रवाई को लेकर देश भर में विपक्ष आलोचना कर रहा है। आलोचनाओं के निशाने पर उत्‍तर प्रदेश के मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ विशेष तौर पर हैं। आरोप लगाया जा रहा है कि बुलडोजर कार्रवाई धर्म एवं जाति देखकर की जा रही है। हालांकि भाजपा शासित राज्‍य की सरकारें इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए विपक्ष द्वारा मामले का राजनीतिकरण करने की बात कही जा रही है।

सुप्रीम कोर्ट की टिप्‍पणी के बाद भले ही राजनीतिक दल इसको अपने अनुसार परिभाषित करें। लेकिन सच्‍चाई यहीं है कि सुप्रीम कोर्ट बुलडोजर कार्रवाई के विरोध में नहीं है। हां, यह जरूर है कि सुप्रीम सार्वजनिक सम्‍पत्ति से अतिक्रमण हटाने के लिए बुलडोजर कार्रवाई में किसी भी तरह के भेदभाव नहीं बरते जाने की बात अवश्‍य कहता है। राज्‍य सरकारों को अब यह देखना होगा कि अपराधी की संपत्ति अवैध निर्माण न हो। पूर्व की बुलडोजर कार्रवाई यहीं बताती है कि राज्‍य सरकारों ने बुलडोजर कार्रवाई के लिए कानून का ही सहारा लिया है। इनमें से अधिकांश संपत्तियां सरकारी अथवा अन्‍य जमीनों पर अतिक्रमण करके बनाई गई थी। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट में बुलडोजर कार्रवाई के खिलाफ याचिका दायर करने वाली जमीयत उलेमा ए हिन्‍द की उम्‍मीदों को झटका लगा है।

Related Articles

Back to top button