गौतम बुद्ध नगर की दलदली जमीन पर राजनीतिक इमारत की बुनियाद रखेगी कांग्रेस, रास्ते में भाजपा और सपा है बड़ी चुनौती
Congress will lay the foundation of a political building on the marshy land of Gautam Buddha Nagar, BJP and SP are big challenges in the way

Panchayat 24 : लोकसभा चुनाव परिणामों से उत्साहित कांग्रेस पार्टी आगामी 2027 के लोकसभा चुनाव से पूर्व प्रदेश में अपने संगठन को धार देने के प्रयास में जुट गई है। कांग्रेस गौतम बुद्ध नगर में लगभग मृत प्राय संगठन में भी जान फूंकने का प्रयास कर रही है। इसके लिए पार्टी जनसंपर्क बढ़ाकर जनमानस के बीच पैठ बनाने का प्रयास करेगी। हालांकि गौतम बुद्ध नगर की जमीन राजनीतिक रूप से कांग्रेस पार्टी के लिए दलदल ही साबित हुई है। ऐसे में देखना होगा कि दलदली जमीन पर कांग्रेस पार्टी का राजनीतिक इमारत की बुनियाद रखना कितना सफल होता है। इस मार्ग में कांग्रेस के रास्ते में भाजपा और सहयोगी समाजवादी पार्टी भी बड़ी चुनौती साबित होंगी।
दरअसल, कांग्रेस पार्टी के उत्तर प्रदेश उपाध्यक्ष विदित चौधरी और जिलाध्यक्ष दीपक भाटी चोटीवाला ने बताया कि गौतम बुद्ध नगर में पार्टी ‘हाथ बदलेगा हालात’ अभियान की शुरूआत करेगा। यह अभियान जिले के शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में दो महीने के लिए चलाया जाएगा। इससे पार्टी कार्यकर्ता आम जनमानस से सीधा संवाद स्थापित करेंगे। इस दौरान स्वैच्छिक सदस्यता अभियान भी चलाया जाएगा। कार्यक्रम के अंतर्गत सप्ताह में 3 दिन जिला कांग्रेस के कैम्प कार्यालयों ग्रेटर नॉएडा वेस्ट, दादरी और जेवर (बिलासपुर) पर जनसुनवाई कार्यक्रम चलाया जाएगा। कार्यक्रम में पीडितों की समस्याओं का समाधान कराने का प्रयास किया जाएगा।
कांग्रेस के लिए रेगिस्तान में फूल उगाने जैसी है गौतम बुद्ध नगर में सफलता अर्जित करना
भले ही कांग्रेस के लिए लोकसभा चुनाव में परिणाम बेहरत रहे है, लेकिन उत्तर प्रदेश में पार्टी की डगर अभी भी कांटों भरी है। चुनावी राजनीति में संगठन का अहम किरदार होता है। लेकिन कांग्रेस पार्टी का संगठन उत्तर प्रदेश में जर्जर हालत में हैं। वहीं, गौतम बुद्ध नगर में कांग्रेस के लिए सफलता अर्जित करना किसी रेगिस्तान में फसल उगाने से कम नहीं है। गौतम बुद्ध नगर लोकसभा सीट पर कांग्रेस पार्टी का प्रदर्शन बेहद ही दयनीय रहा है। साल 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी का उम्मीदवार चुनाव पूर्व ही मैदान छोड़कर भाग गया था। पार्टी प्रत्याशी डॉ रमेश चंद तोमर को महज 12727 वोट ही मिले थे। वहीं, साल 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी का उम्मीदवार पूरे चुनाव में संघर्ष करता हुआ प्रतीत नहीं हुआ। कांग्रेस पार्टी प्रत्याशी डॉ अरविन्द कुमार को 42077 वोट हासिल हुए।वहीं, साल 2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी ने एक साथ चुनाव लड़ा। इस चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने गौतम बुद्ध नगर से अपना उम्मीदवार लड़ाना भी उचित नहीं समझा।
वर्तमान में गौतम बुद्ध नगर की राजनीति पर भाजपा का पूरी तरह दबदबा, कांग्रेस के लिए नहीं है विशेष स्थान
गौतम बुद्ध नगर जिले की राजनीति पर वर्तमान में भाजपा का पूरी तरह से कब्जा है। जिले की तीनों विधानसभाओं, नोएडा, दादरी और जेवर पर भाजपा का कब्जा है। जिले की एक मात्र नगर पालिका परिषद पर भी भाजपा का कब्जा है। जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर भी भाजपा का कब्जा है। वहीं, तीन नगर पंचायतों बिलासपुर, दनकौर और रबूपुरा पर भी भाजपा काबिज है। गौतम बुद्ध नगर लोकसभा सीट पर भाजपा प्रत्याशी डॉ महेश शर्मा लगातार तीसरी बार जीत दर्ज करनमें में कामयाब रहे हैं। हाल ही में संपन्न हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी डॉ महेश शर्मा ने पूरे प्रदेश में सर्वाधिक मतों से जीत दर्ज की है। उन्होंने सपा प्रत्याशी महेन्द्र सिंह नागर को लगभग 5.60 लाख वोटों से चुनाव हराया है। इसके बावजूद जिले में भाजपा से बहुत पीछे ही सही, लेकिन दूसरे पायदान पर समाजवादी पार्टी है। वहीं, कभी गौतम बुद्ध नगर जिले में मजबूत जनाधार रखने वाली बहुजन समाज पार्टी भी यहां संघर्ष कर रही है। जनता के बीच बहुजन समाज पार्टी का जनाधार तेजी से सिकुड रहा है। ऐसे में गौतम बुद्ध नगर में कांग्रेस को खुद को मजबूत करने के लिए सत्ताधारी पार्टी भाजपा के साथ सहयोगी समाजवादी पार्टी से भी जुझना होगा। यह कार्य कांग्रेस के लिए कतई भी आसान नहीं है।
कांग्रेस पार्टी गौतम बुद्ध नगर की जनता का विश्वास खो चुकी है ?
गौतम बुद्ध नगर में पिछले एक दशक के चुनाव परिणामों को देखते तो पता चलता है कि कांग्रेस पार्टी जिले की जनता का विश्वास खो चुकी है। इन चुनावों में पार्टी एक भी ऐसा प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतारने में कामयाब नहीं हो सकी है जिसको जनता का विश्वास हासिल हो अथवा चुनाव में विरोधी दलों को टक्कर देता हुआ दिखा हो। यहां तक कि हाल ही के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने गठबंधन में गौतम बुद्ध नगर लोकसभा सीट की अपेक्षा गाजियाबाद लोकसभा सीट पर अपना उम्मीदवार उतारने के लिए चुना। गौतम बुद्ध नगर जिले में चुनाव दर चुनाव कांग्रेस पार्टी का संगठन लगातार कमजोर हुआ है। परिणामस्वरूप जनता का जुड़ाव लगातार कांग्रेस से कम हुआ है। वर्तमान में गौतम बुद्ध नगर जिला कांग्रेस पार्टी के लिए राजनीतिक रूप से सबसे अधिक कड़ा अनुभव देने वाले जिलों में शामिल हैं। जानकारों की माने तो पार्टी के कार्यकर्ता एवं समर्थकों के बीच विश्वास का बेहद अभाव है। परिणामस्वरूप कई बार प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ता एवं नेता भी निजी लाभ हानि के आधार पर विरोधी दलों के साथ जुड़े रहते हैं।
हाथ, गौतम बुद्ध नगर में कितने बदलेगा हालात ?
लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने हाथ बदलेगा हालात का नारा दिया था। लोकसभा चुनाव में कामयाबी के बाद पार्टी प्रदेश में अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए भी इसी स्लोगन का प्रयोग कर रही है। लेकिन गौतम बुद्ध नगर में कांग्रेस के सामने बड़ी चुनौती यह होगी कि हाथ, गौतम बुद्ध नगर में कितने बदलेगा हालात ? यहां की नोएडा, ग्रेटर नोएडा वेस्ट, ग्रेटर नोएडा और दादरी सहित नगरीय जनसंख्या बाहुल्य इस जिले में कांग्रेस का यह मंत्र कितना कारगर साबित होगा। दरअसल, यहां की नगरीय बाहुल्य जनसंख्या के बीच भाजपा की अच्छी खासी पकड़ है। वहीं, ग्रामीण क्षेत्रों में भी जातीय एवं दूसरे समीकरणों के आधार पर भाजपा मजबूत है। कांग्रेस का जनाधार एकदम निचले स्तर पर है। ऐसे में प्रतीत नहीं होता है कि कांग्रेस कोई जादुई चमत्कार करके गौतम बुद्ध नगर में हाथ हालातों को बदलेगा। बड़ा सवाल यह उठता है कि यह नारा, हाथ बदलेगा हालात, गौतम बुद्ध नगर में कितना कारगर साबित होगा ?
समाजवादी पार्टी को छोड़कर कितना आगे बढ़ पाएगी कांग्रेस ?
लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में कांग्रेस पार्टी ने 6 सीटों पर जीत दर्ज की है। जबकि साल 2019 के लोकसभा चुनाव में महज एक सीट पर ही पार्टी जीत दर्ज कर सकी थी। जानकार कांग्रेस की इस सफलता का श्रेय कांग्रेस पार्टी से अधिक समाजवादी पार्टी को देते हैं। इनका मानना है यदि कांग्रेस पार्टी का समाजवादी पार्टी से गठबंधन नहीं होता तो 6 लोकसभा सीटों पर जीत दर्ज कर पाना लगभग असंभव होता। ऐसे में सवाल यह उठता है यदि किसी स्थिति में कांग्रेस को समाजवादी पार्टी के बिना ही चुनावी मैदान में उतरना पड़ा तो पार्टी कितना आगे बढ़ पाएगी ? ऐसी स्थिति में कांग्रेस के लिए बेहतर प्रदर्शन करना बड़ी चुनौती होगी ? कुछ जानकार यह भी कहते हैं कि लोकसभा चुनाव में कांग्रेस जहां भी अकेले चुनाव मैदान में उतरी है वहां, उसका प्रदर्शन बहुत अच्छा नहीं रहा है। जहां पर भी क्षेत्रीय दलों के साथ मिलकर चुनाव लड़ी है, वहां पर बेहतर प्रदर्शन किया है। ऐसे में कांग्रेस अकेले दम पर उत्तर प्रदेश में चुनाव लड़ने पर विचार नहीं करेगी। ऐसी स्थिति में गठबंधन में कांग्रेस द्वारा चुनाव लड़कर बेहतर प्रदर्शन करने की कीमत समाजवादी पार्टी को चुकानी पड़ेगी ?