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छाया कागज संकट, नहीं छपेंगी बच्‍चों की किताबें, कैसे पढ़ेंगे बच्‍चे ? जानिए क्‍या है पूरा मामला ?

Shadow paper crisis, children's books will not be printed, how will children read? Learn about the case in detail ?

Panchayat24 : भारत का पड़ोसी मुल्‍क श्रीलंका गंभीर आर्थिक संकट से गुजर रहा है। श्रीलंका के नक्‍शे कदम पर भारत का एक और पड़ोसी मुल्‍क चल पड़ा है। यहां महंगाई अपने चरम पर है। लोगों को दैनिक जीवन की मूलभूत वस्‍तुए भी मुहैया नहीं हो पा रही हे। पैट्रोल की कीमतें काबू से बाहर हो चुकी है। ऐसे में इस देश में कागज संकट पैदा हो गया है जिसके चलते सरकार ने छात्रों के लिए नए सत्र में किताबें नहीं छापने का निर्णय लिया है।

क्‍या है पूरा मामला ?

दरअसल, हमारा पड़ोसी मुल्‍क पाकिस्‍तान की अर्थव्‍यवस्‍था धीरे-धीरे श्रीलंका की तरह गर्त में जा रही है। महंगाई के कारण लोग हल्‍कान हैं। आम जनता के पास खाने पीने का सामान खरीदने के लिए भी पैसा नहीं है। हालत यह हो गई है कि यहां डॉलर की कीमत लगभग 220 रूपये तक पहुंच चुकी हैं। हर वस्‍तु की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि हो रही हैं। प्रकाशक किताबों की कीमतों को नियंत्रित करने में नाकाम साबित हो रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्‍तान में कागज संकट का यह आलम है कि यहां के पंजाब , सिध और खैबर पख्‍तूनवा के शिक्षा बोर्ड नई किताबों की छपाई भी नहीं करा पा रहे हैं। गंभीर आर्थिक संकट के कारण 2022-23 के लिए नई किताबें नहीं छप सकेंगी।

पाकिस्‍तान को नहीं मिल रहा कर्ज

पाकिस्‍तान आर्थिक संकट के जिस भंवर जाल में फंसा हुआ है उसके चलते उसे बड़ी आर्थिक मदद की आवश्‍यकता है। पाकिस्‍तान सरकार लगातार प्रयास कर रही है कि उसे अन्‍तर्राष्‍ट्रीय संस्‍थाओं से कर्ज मुहैया हो जाए, लेकिन कामयाबी नहीं मिल रही है। इसके पीछे आईएमएफ द्वारा पाकिस्‍तान पर सेंक्‍शन लगाना और उसे ग्रे लिस्‍ट में रखना है। आईएमएफ पाकिस्‍तान के आतंकवाद के प्रति रवैये को लेकर कड़ा रूख अपनाए हुए है। अन्‍तर्राष्‍ट्रीय संस्‍था ने स्‍पष्‍ट कहा है कि जब तक पाकिस्‍तान आतंकवाद पर सख्‍ती नहीं करता उसे मदद नहीं मिलेगी। पाकिस्‍तान पर आरोप लगे हैं कि मदद के रूप में जो भी आर्थिक सहायता पाकिस्‍तान को दी गई है, उसका दुरूपयोग करते हुए आतंकवाद को बढ़ावा दिया गया है।

मददगार देश भी हट रहे हैं पीछे

इसके अलावा पाकिस्‍तान के मददगार कई मददगार देश रहे है जो संकट के समय उसकी मदद करते रहे हैं। इनमें अमेरिका, अरब देख और चीन जैसे देशों का नाम शामिल हैं। अफगानिस्‍तान में पाकिस्‍तान की तालिबान समर्थक भूमिका के चलते अमेरिका उससे नाराज हैं। मुस्लिम बिरादरी का नया मुखिया बनने की चाहत में पाकिस्‍तान ने अरब देशों, विशेषकर साऊदी अरब और यूएई को नाराज कर दिया है। चीन जिन शर्तो पर कर्ज देता है, उनके कारण ही पाकिस्‍तान बहुत हद तक इस हालत तक पहुंच चुका है। पाकिस्‍तान चीनी कर्ज का ब्‍याज भी नहीं चुका पा रहा है। ऐसे में चीन भी उसे नया कर्ज देने को तैयार नहीं है।

आर्थिक संकट के लिए पाकिस्‍तानी सरकारों की नीतियों जिम्‍मेवार

दरअसल, पाकिस्‍तान के बुद्धिजीवी पाकिस्‍तान की इस हालत के लिए पाकिस्‍तानी सरकारों की गलत नीतियों को जिम्‍मेवार ठहराते हैं। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्‍तान के ही एक बुद्धिजीवी अयाज आमिर के पाकिस्‍तान के पूर्व राष्‍ट्रपति अय्यूब खान, याहिया खान, जुल्फिकार अली भूट्टो और मुहम्‍मद जिया उल हक केशासन में हमने देखा। हमने तानाशाहों की सरकारें भी देखी। इन सभी में एक बात समान रही कि समस्‍रूा को हल करने के लिए बाहर से कर्ज लिया। फिर इस कर्ज को उतारने के लिएएक और कर्ज ले लिया। यह सिलसिला इस बुलंदी तक पहुंच चुका है कि पाकिस्‍तान आर्थिक संकट में फंस चुका है और कोई भी मुल्‍क पाकिस्‍तान को कर्ज देना नहीं चाहता।

पाकिस्‍तान और श्रीलंका में है समानता ?

भारत के दो पड़ोसी मुल्‍क पाकिस्‍तान और श्रीलंका इस समय आर्थिक संकट के बुरे दौर से गुजर रहे हैं। दोनों देशों में एक समानता है जो इनकी बिगड़ती आर्थिक हालत के लिए जिम्‍मेवार है। यह है चीन से नजदीकी। चीन ने जहांं श्रीलंका को अपने कर्जजाल में फंसाया और हंबनटोटा पोर्ट कब्‍जा लिया। इसके बाद श्रीलंका पर कर्ज लौटाने के लिए दबाव बढ़ाया। कुछ ऐसा ही चीन ने अपने दोस्‍त पाकिस्‍तान के साथ भी किया है। पहले सीपैक योजना के अन्‍तर्गत पाकिस्‍तान में भारी भरकम निवेश। पाकिस्‍तान को भारी कड़ी शर्तो पर भारी भरकम कर्ज दे दिया। अब हालत यह है कि चीन के कर्ज से अधिक पाकिस्‍तान पर कर्ज का ब्‍याज होता है। यही कारण है कि पाकिस्‍तान कर्ज के भंवर जाल में फंसता ही जा रहा है।

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