नोएडा प्राधिकरण

नोएडा ने 49 साल में कई विकास आयामों को छुआ, विकास यात्रा में कहां खड़े हैं नोएडा के गांव ?

Noida has touched many development dimensions in 49 years, where do Noida's villages stand in the development journey?

Panchayat 24 : नींव की ईंट की भी अपनी किस्‍मत होती है। गुमनानी में रहकर इमारत को मजबूती नींव की ईंट देती है और चर्चा चर्चा फलक पर विराजमान चमचमाती ईंट की होती है। यह बात नोएडा के गांवों के बारे में सटीक बैठती है जिन्‍होंने विश्‍व पटल पर आधुनिक ढांचागत विकास के लिए ख्‍याति प्राप्‍त करने वाले नोएडा को बसाने और बनाने के लिए अपना सबकुछ दांव पर लगा दिया लेकिन चर्चा यहां के आवासीय और औद्योगिक सेक्‍टरों की होती है। विकास के  मानक तय करते समय यहां की गगनचुंबी इमारतों और आधुनिक सड़कों की होती है जबकि गांवों के रास्‍तों और यहां के लोगों के रहन सहन की परिस्थितियां गायब हैं।

नोएडा की स्‍थापना के 49 वर्ष वर्ष पूरे होने के उपलक्ष में आयोजित प्रेस वार्ता में गांवों पर चर्चा नदारद ही दिखी। दरअसल, इस कार्यक्रम के दौरान इंदिरा गांधी कला केन्‍द्र में आयोजित कार्यक्रम में नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण के सीईओ डॉ लोकेश एम की अध्‍यक्षता में प्राधिकरण के सभी विभागअध्‍यक्षों और एसीईओ ने नोएडा की विकास यात्रा के साथ आगामी एक साल के अपने लक्ष्‍यों की चर्चा की। कार्यक्रम की चर्चा से तय था कि जब नोएडा अपने स्‍थापना का स्‍वर्ण जयंती वर्ष मना रहा होगा, नोएडा के पास गिनाने के लिए बहुत सारी उपलब्धियां होंगी। लेकिन सवाल उठता है क्‍या नोएडा की विकास यात्रा में गांवों कहां हैं ?

दरअसल, नोएडा के अधिसूचित क्षेत्र में कुल 82 गांव आतें हैं। इन गांवों की जमीन का अधिग्रहण करके ही नोएडा प्राधिकरण ने यहां विकास की इबादत लिखी है। इन गांवों के किसानों का इस विकास में अग्रणि योगदान रहा है, लेकिन इस विकास में किसानों की हिस्‍सेदारी ईमानदारी से तय नहीं हो सकी है। नोएडा की स्‍थापना के साथ से ही समय इन गांवों के लोग, विशेषकर किसान अपनी मांगों को लेकर प्राधिकरण के सामने खड़े थे। जब नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण अपनी स्‍थापना के स्‍वर्णकाल में प्रवेश कर रहा है, स्‍थानीय लोग और किसान आज भी अपनी मांगों को लेकर प्राधिकरण के सामने खड़े हुए हैं। 49 सालों में स्थिति में बहुत अधिक बदलाव नहीं आया है।

नोएडा प्राधिकरण ने गांवों के लिए कोई काम ही नहीं किया है, ऐसा भी नहीं है। गांवों में पक्‍के रास्‍तों का निर्माण, जल निकासी की व्‍यवस्‍था, सामुदायिक केन्‍द्र, बिजली और पानी की व्‍यवस्‍था जैसी मूलभूत सुविधाएं ग्रामीणों को मिल रही हैं। लेकिन जब गांवों की तुलना प्राधिकरण द्वारा बसाए गए सेक्‍टरों से करते हैं तो गांवों के लिए प्राधिकरण द्वारा गांवों के विकास के लिए किए जा रहे प्रयासों की सच्‍चाई समाने आती हैं। पता चलता है कि गांवों को विकास की इस यात्रा में शामिल करने के लिए जो सपने दिखाए गए थे, वह कितने पूरे हुए हैं।

अधिकांश गांवों में टूटे रास्‍ते, जगह जगह जलभराव, सीवर लाइन से रिसता हुआ गंदा पानी और छोटे छोटे भूखंडों पर बिना सुरक्षा मानकों का पालन किए मनमाने तरीके से बनाई गई ऊंची ऊंची इमारतें बताती हैं कि नोएडा के आवासीय सेक्‍टरों और गांवों में जमीन आसमान का अंतर है। अर्थात गांव सेक्‍टर बन नहीं सके हैं और गांव रहे नहीं हैं। कड़वी सच्‍चाई है कि दूर से देखने पर अधिकांश गांव एक व्‍यवस्थित एवं नियोजित आबादी के पास बसा हुआ स्‍लम प्रतीत होता है।

प्राधिकरण के सीईओ डॉ लोकेश एम ने अपने वक्‍तव्‍य के दौरान कहा कि समय बदलने के साथ विकास यात्रा में बहुत सारी चुनौतियां सामने आती हैं। नोएडा की स्‍थापना के 49 सालों में परिस्थितियां बहुत बदली हैं। बदलती परिस्थितियों के अनुसार नोएडा की नीतियों में भी बदलाव आया है। मांगों में तय मास्‍तर प्‍लान से अलग तेजी से मांगें बढ़ी हैं। इन मांगों की पूर्ति के लिए नोएडा धीरे धीरे बदलता रहा। नोएडा ने अधिग्रहित जमीन के साथ 80 गांवों का भी तेजी से विकास किया। कोई भी व्‍यवस्‍था परिपूर्ण नहीं होती है। कई बार विकास के लिए बेहतर नीतियां बनाई जाती है, लेकिन जब उन्‍हें धरातल पर लागू किया जाता है तब पता चलता है कि नीतियों में क्‍या खामियां हैं ? किसी भी व्‍यवस्‍था में इस तरह की चुनौतियां जरूर आती हैं। नोएडा में भी इस तरह की चुनौतयां सामने आ रही हैं। हम इन चुनौतयों से बच नहीं रहे हैं। हम इनका सामना कर रहे हैं। इनका समाधान हर हाल में करेंगे।

—– डॉ लोकेश एम, सीईओ, नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण

कुछ लोग गांवों के विकास के लिए यह तर्क देते हैं कि नोएडा की स्‍थापना से पूर्व यह क्षेत्र विकास से कोसो दूर था। यहां के लोग बैलगाड़ी से यात्रा करते थे। आज लग्‍जरी कारों गांव के लोगों के पास हैं। आलीशान मकानों के मालिक यहां के लोग हैं। सवाल उठता है इन सुविधा को पाने के लिए यदि किसानों को अपनी पहचान ही खोनी पड़े तो यह सौदा महंगा नहीं है ? इसके बावजूद गांवों में कितने परिवार ऐसे हैं जिनके सामने जमीन अधिग्रहण के बाद विभिन्‍न कारणों से नोएडा से पलायन करने के हालात पैदा हो गए हैं।

इस सबके बीच 49वें स्‍थापना दिवस के मौके पर आयोजित कार्यक्रम के दौरान एक बात नोएडा, विशेष तौर पर नोएडा के गांवों के विकास को लेकर सामने आ रही चुनौतयों को लेकर प्रस्‍तुत किया गया सकारात्‍मक नजरिया अच्‍छी बात रही है। हम उम्‍मीद करते हैं कि जब नोएडा प्राधिकरण अपने 50वें स्‍थापना दिवस का जश्‍न मना रहा हो, नोएडा की नींव की ईंट माने जाने वाले लगभग 80 गांवों की दशा सुधारने के लिए भी कारगर नीतियां बनाकर उनकी समस्‍याओं का तेजी से निस्‍तारण किया गया हो। जिससे नोएडा की 50 सालों की विकास यात्रा में नोएडा के गांवों के लोग, विशेष तौर पर किसान भी इसमें अपनी भागीदारी का अनुभव करें।

Related Articles

Back to top button