गौतम बुद्ध नगर पुलिस कमिश्नरेट में डीसीपी प्राधिकरण नाम से नए पद को सृजित किए जाने की आवश्यकता है ?
Is there a need to create a new post named DCP Authority in Gautam Buddha Nagar Police Commissionerate?

Panchayat 24 : क्या गौतम बुद्ध नगर पुलिस कमिश्नरेट में डीसीपी प्राधिकरण पद को सृजित किए जाने की आवश्यकता है ? पूर्व में भी काल एवं परिस्थितियों के आधार पर विभिन्न नए पदों को सृजित किया गया है। महिला सुरक्षा, उद्योग और वर्तमान में साइबर सुरक्षा कुछ ऐसे ही क्षेत्र हैं। वर्तमान में प्राधिकरण से जुड़ी विभिन्न समस्याओं और जमीनी विवादों के कारण गौतम बुद्ध नगर का स्थानीय समाज प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष प्रभावित है। पुलिस के पास प्राधिकरण से जुड़ी समस्याओं के मामलों में तेजी से वृद्धि हो रही है। अर्थात ऐस मामले पुलिस पर बोझ बन रहे हैं। प्राधिकरण से जुड़े मामलों की निगरानी और समाधान के लिए डीसीपी प्राधिकरण जैसे किसी पद को सृजित किए जाने का विचार मन में आता है।
दरअसल, गौतम बुद्ध नगर में तीन नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना एक्सप्रेसवे औद्ययोगिक विकास प्राधिकरण कार्यरत हैं। वहीं, उत्तर प्रदेश राज्य औद्ययोगिक विकास प्राधिकरण का क्षेत्रीय कार्यालय भी स्थित हैं। वर्तमान में पुलिस के पास पहुँचने वाले मामलो में बड़ा हिस्सा प्राधिकरणों से जुड़े मामलों का है। फ्लैट बायरस, बिल्डर्स , किसान आंदोलन, प्राधिकरण की जमीन पर अतिक्रमण और अवैध कब्जा जैसे मामले प्रमुख हैं। अतिक्रमण और अवैध निर्माण कार्य के मामलों में प्रधिकरण और पुलिस के बीच समन्वय का अभाव दिखाई देता है।
प्राधिकारण अधिसूचित और अधिग्रहित जमीनों पर होने बाले अतिक्रमण और अवैध निर्माण को लेकर दोनों पक्ष एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप भी लगाते रहे हैं। प्राधिकरण आरोप लगते हैं कि पुलिस की जानकारी में अवैध निर्माण और अतिक्रमण जैसे अपराधों को बढ़ावा मिल रहा है। पुलिस प्राधिकरण द्वारा आरोपियों के खिलाफ तहरीर दिए जाने के बावजूद मुकदमे दर्ज नहीं करती। ऐसे मामले बड़ी संख्या में पुलिस के पास पेंडिंग हैं। अतिक्रमण और अवैध निर्माण के खिलाफ ध्वस्तिकारण की कार्रवाई में भी पुलिस पर प्राधिकारण का सहयोग नहीं करने की चर्चाएं रह रहकर सामने आती रहती हैं। प्राधिकरण अधिकारियों की माने तो कई मामलों में पर्याप्त पुलिस बल उपलब्ध नहीं होने के कारण समय रहते अतिक्रमण और अवैध निर्माण तथा अवैध कब्जे पर प्रभावी कार्रवाई नहीं हो पाती है।
वहीं, पुलिस की ओर से अतिक्रमण एवं अवैध निर्माण को लेकर प्राधिकरण पर आरोप लगाए जाते है। पुलिस की माने तो अतिक्रमण की शुरुआत प्राधिकरण के अधिकारियों की उदासीनता, अकर्मणयता और भ्रष्टाचार के कारण होती है। अर्थात प्राधिकरण की गलत नीतियों के कारण ही बीते कल में किया गया छोटा अतिक्रमाण और अवैध निर्माण आज विकराल समस्या बन गए हैं। प्रथम दृष्ट्या दोनों बातों में सत्यता भी है।
जिले में तेजी से से प्राधिकरणों की अधिसूचित एवं अधिग्रहित तथा क्रय की हुई जमीनों पर होने वाला अतिक्रमण, अवैध निर्माण एवं अवैध कब्जे का प्रभाव विकास कार्यों के अवरुद्ध होने और समस्या समाधान की प्रक्रिया के शिथिल होने के रूप में सामने आ रहे हैं। आने वाले समय में इस प्रकार की समस्याएं और अधिक बढ़ेंगी। ऐसे में डीसीपी प्राधिकरण के पद पर तैनात अधिकारी ऐसी समस्याओं का समाधान कर सकता है बशर्ते कि ऐसे अधिकारी को सामान्य डीसीपी की तरह ही पर्याप्त मात्र में अधिनस्थ एक टीम अर्थात पर्याप्त संख्या में एसीपी, निरीक्षक तथा पुलिस बल भी मुहैया होना चाहिए। प्राधिकरण से जुड़े मामलों में शिकायत मिलने से लेकर समाधान कार्रवाई तक की जवाबदेही डीसीपी प्राधिकरण जैसे पुलिस अधिकारी की ही तय की जाए।