गौतम बुद्ध नगर लोकसभा सीट : उम्मीदवार घोषित होने के बाद भी समाजवादी पार्टी खेमे में इतना सन्नाटा क्यों है भाई ?
Gautam Buddha Nagar Lok Sabha seat: Why is there so much silence in the Samajwadi Party camp even after the candidate has been declared?

Panchayat 24 : लोकसभा चुनाव 2024 के लिए काफी जद्दोजहद के बाद समाजवादी पार्टी ने डॉ महेन्द्र सिंह नागर को गौतम बुद्ध नगर लोकसभा सीट से अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया है। इसके बावजूद पार्टी खेमे में खासा उत्साह दिखाई नहीं दे रहा है। वहीं, सत्ताधारी पार्टी भाजपा द्वारा डॉ महेश शर्मा को उम्मीदवार घोषित किए जाने के बाद पार्टी में भारी गुटबाजी के बावजूद पूरी लोकसभा सीट पर भाजपा कार्यकर्ताओं का जोश और उत्साह सातवें आसमान पर है। ऐसे में राजनीतिक गलियारे में सवाल पूछे जा रहे हैं कि समाजवादी पार्टी खेमे में इतना सन्नाटा क्यों है भाई ? यह शांति पार्टी कार्यकर्ताओं के उत्साह की कमी को प्रदर्शित करता है या फिर पार्टी के अंदर अभी भी कुछ पक रहा है ? वहीं, भाजपा कार्यकर्ता चुनाव को एकतरफा कहकर मतदान पूर्व ही जश्न में डूबे हुए दिख रहे हैं। ऐसे में डॉ महेन्द्र सिंह नागर के सामने खुद को साबित करने की बड़ी चुनौती है।
समाजवादी पार्टी के लिए कांटों भरी है गौतम बुद्ध नगर की डगर
इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है कि गौतम बुद्ध नगर लोकसभा सीट में समाजवादी पार्टी का अनुभव बहुत कड़वा रहा है। यहां समाजवादी पार्टी के पास पांच में से एक भी विधानसभा सीट पर कब्जा नहीं है। गौतम बुद्ध नगर जिले की नोएडा दादरी और जेवर विधानसभा सीट पर समाजवादी पार्टी अभी तक जीत हासिल नहीं कर सकी है। वर्तमान में भी तीनों विधानसभा सीटें भाजपा के खाते में हैं। वहीं, बुलन्दशहर जिले की दो विधानसभा सीटें भी गौतम बुद्ध नगर लोकसभा के अन्तर्गत आती है। खुर्जा लोकसभा सीट पर भी समाजवादी पार्टी का खाता नहीं खुल सका है। वहीं, सिकन्द्रबाद विधानसभा सीट पर समाजवादी पार्टी ने साल 2002 तक 1996 से साल 2002 तक जीत दर्ज की थी। नरेन्द्र सिंह भाटी ने भारतीय जनता पार्टी से इस सीट को छीना था। इससे पहले नरेन्द्र सिंह भाटी 1989 से 1992 तक सिकन्द्राबाद विधानसभा सीट पर विधायक रह चुके है। लेकिन यह चुनाव उन्होंने जनता दल के टिकट पर जीता था। वहीं, वर्तमान में नरेन्द्र सिंह भाटी भारतीय जनता पार्टी के विधान परिषद सदस्य हैं। इसके अतिरिक्त गौतम बुद्ध नगर लोकसभा के अन्तर्गत आने वाली एक भी नगरपालिका और नगर पंचायत पर काबिज नहीं है। वहीं, लोकसभा सीट पर भी वर्तमान में भाजपा का ही कब्जा है। भाजपा ने गौतम बुद्ध नगर लोकसभा सीट पर वर्तमान सांसद डॉ महेश शर्मा को लगातार चौथी बार चुनाव मैदान में उतारा है। ऐसे में समाजवादी पार्टी के लिए डॉ महेन्द्र सिंह नागर के सहारे गौतम बुद्ध नगर की लड़ाई डगर वाकई में कांटों भरी है।
भाजपा और सपा उम्मीदवारों में संगठन का बहुत बड़ा अंतर है
गौतम बुद्ध नगर लोकसभा सीट पर भाजपा के डॉ महेश शर्मा और समाजवादी पार्टी के डॉ महेन्द्र सिंह नागर आमने सामने होंगे। दोनों प्रत्याशियों के बीच सबसे बड़ा अंतर पार्टी संगठन का है। जहां समाजवादी पार्टी को गौतम बुद्ध नगर लोकसभा सीट पर ग्रामीण एवं स्थानीयों लोगों के बीच पकड़ रखने वाली पार्टी माना जाता है। वहीं, भाजपा का शहरी क्षेत्रों में पूरी तरह दबदबा है। भाजपा का महानगर और जिला संगठन इकाई जिस तरह से बूथ लेवल तक चुनाव मैनेजमेंट को सफलतापूर्वक अंजाम देती है। ऐसा चुनाव मैनेजमेंट समाजवादी पार्टी के चाहकर भी नहीं कर पा रही है। जहां भाजपा पार्टी कार्यकर्ता को विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से प्रशिक्षण एवं उत्साह को बनाए रखती है। ऐसा प्रशिक्षण और उत्साह समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता में बहुत कम दिखाई देता है। विभिन्न उद्देश्यों से बाहर से आकर गौतम बुद्ध नगर को अपना नया घर बनाने वाले लोगों के लिए भाजपा एक मात्र विकल्प बन चुकी है। यहीं कारण है कि साल 2014 के बाद से इस लोकसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी चुनाव दर चुनाव बड़ी जीत दर्ज कर रही है। इस लोकसभा सीट पर नोएडा और दादरी विधानसभा सीटें लगभग पूरी तरह से नगरीकरण का रूप धारण कर चुकी हैं।
डॉ महेन्द्र सिंह नागर को एक साथ कई मोर्चों पर जूझना होगा
लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव मैदान में कूदने वाले डॉ महेन्द्र सिंह नागर को एक साथ कई मोर्चों पर जझना पड़ेगा। सबसे पहले उन्हें सत्ताधारी पार्टी के दो बार से लगातार भारी वोटों से जीत दर्ज करने वाले भाजपा के मजबूत उम्मीदवार डॉ महेश शर्मा से पार पाना होगा। डॉ महेश शर्मा को उनके चुनाव मैनेजमेंट के लिए जाना जाता है। उनके पास उत्साहित कार्यकर्ताओं की एक लंबी चौड़ी फौज है। वह जन्मजात राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़े रहे हैं।
साल 2009 में गौतम बुद्ध नगर लोकसभा सीट पर हुए पहले चुनाव में डॉ महेश शर्मा बसपा के उम्मीदवार से करीबी मुकाबले में चुनाव हार गए थे। इसके बाद वह साल 2012 में नोएडा विधानसभा चुनाव, साल 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में लगातार जीत दर्ज कर चुके हैं। उनका मनोबल भी सातवे आसमान पर है। वहीं, समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार डॉ महेन्द्र सिंह नागर लंबे समय से राजनीति में सक्रिय रहे हैं। उन्होंने कांग्रेस से अपने राजनीतिक जीवन की शुरूआत की थी। वह कांग्रेस के जिलाध्यक्ष भी रहे हैं। साल 2022 विधानसभा चुनावों से पूर्व वह समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए। उन्हें राजनीतिक का लंबा अनुभव जरूर है लेकिन कभी कोई चुनाव नहीं लड़ा। ऐसे में अपने मुख्य प्रतिद्वंदी के सामने वह कहीं नहीं ठहरते है।
जहां भाजपा उम्मीदवार डॉ महेन्द्र सिंह नागर और उनकी पार्टी के विभिन्न नेता विभिन्न पार्टी कार्यक्रमों और अभियानों के माध्यम से घर घर जाकर मतदाताओं से कई बार मुलाकात कर चुके हैं। वहीं, समाजवादी पार्टी प्रत्याशी चयन में ही काफी पिछड़ चुकी है। ऐसे में डॉ महेन्द्र सिंह नागर के लिए चुनाव से पूर्व अधिक से अधिक मतदाताओं के बीच पहुंच बनाना और उन्हें अपने पक्ष में मतादन करने के लिए प्रभावित करना भी कड़ी चुनौती हेागी।