ग्रेटर नोएडा जोन

राजस्‍थान, मध्‍य प्रदेश और छत्‍तीसगढ़ विधानसभा चुनाव परिणामों से जिले की राजनीति में बदलाव के संकेत, कई दलों के नेता भाजपा में तलाश रहे संभावना, लोकसभा चुनाव से ठीक पहले दिख सकता है बड़ा राजनीतिक बदलाव

Rajasthan, Madhya Pradesh and Chhattisgarh assembly election results indicate change in district politics, leaders of many parties are looking for possibilities in BJP, big political change can be seen just before Lok Sabha elections.

डॉ देवेन्‍द्र कुमार शर्मा

Panchayat 24 : हाल ही में पांच राज्‍यों में सम्‍पन्‍न हुए विधानसभा चुनाव परिणाम जिले की राजनीति में बदलाव के संकेत दे रहे हैं। इनमें राजस्‍थान, मध्‍य प्रदेश और छत्‍तीसगढ़ विधानसभा चुनाव परिणाम अहम हैं। जिले में भाजपा विरोधी दलों पर इन चुनाव परिणामों का दूरगामी परिणाम देखा जा रहा है। जानकारों की माने तो कई दलों के नेता भाजपा में अपने लिए संभावनाएं तलाश रहे हैं। ऐसे में आगामी लोकसभा चुनाव से पूर्व जिले की राजनीति में बड़ा राजनीतिक बदलाव देखने को मिल सकता है।

दरअसल, हाल में सम्‍पन्‍न हुए पांच राज्‍यों में विधानसभा चुनावों में भाजपा ने बेहद अहम माने जाने वाले हिन्‍दी भाषी राज्‍यों राजस्‍थान, मध्‍य प्रदेश और छत्‍तीसगढ़ में धमाकेदार जीत दर्ज की है। इन चुनाव परिणामों ने भाजपा विरोधी दलों को पशोपेश में डाल दिया हैं। गौतम बुद्ध नगर की राजनीति पर पिछले डेढ़ दशक से भाजपा का पूरा कब्‍जा है। विपक्षी दलों, सपा, बसपा और कांग्रेस का ग्राफ यहां लगातार नीचे जा रहा हैं। मुख्‍य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी काफी प्रयासों के बावजूद जिले में अपना आधार बढ़ाने में असमर्थ दिख रही हैं। विशेषतौर पर शहरी मतदाताओं के बीच पार्टी उपस्थिति बेहद कमजोर हैं।

वहीं, गौतम बुद्ध नगर बसपा सुप्रीमों मायावती का पैतृक गांव बादलपुर भी यहीं पर स्थित हैं। एक समय जिले में बसपा का पूरी तरह से कब्‍ज था। दो विधायक और सांसद बसपा के खाते में शामिल थे। इसके बाद नए परिसीमन के बाद केवल नोएडा विधानसभा ही भाजपा के खाते में गई थी। इसके बाद से लगातार भाजपा का जिले में वर्चस्‍व कायम हैं। जबकि कांग्रेस चुनाव दर चुनाव रसातल में धंसती हुई दिख रही है। कांग्रेस के आधार की बात करें तो पार्टी को जिले में संगठन के लिए भी समर्पित कार्यकर्ता तलाशने के लिए काफी मशक्‍कत करनी पड़ रही है।

वर्तमान में जिले में राज्‍यसभा सांसद, लोकसभा सांसद, तीन विधायक, जिला पंचायत अध्‍यक्ष और जिले की एक मात्र नगरपालिका परिषद पर भाजपा का कब्‍जा है। ऐसे में भाजपा विरोधी दलों के लिए जिले में बहुत अधिक स्‍पेस शेष नहीं हैं। यहीं कारण है कि पिछले एक दशक में कांग्रेस, सपा और भाजपा के दिग्‍गज नेताओं ने पाला बदलते हुए भाजपा का रूख किया हैं।

हालांकि भाजपा विरोधी दल जिले में खुद को खड़ा करने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं। इनमें समाजवादी पार्टी ले देकर कुछ प्रयास करती हुई दिख रही है। इसके परिणाम भी सामने आए हैं। हाल ही में संपन्‍न हुए नगर निकाय चुनावों में समाजवादी पार्टी के उम्‍मीदवार ही भाजपा के सामने कुछ चुनौती पेश करते हुए नजर आए हैं। इनमें जिले की एक मात्र नगरपालिका परिषद दादरी पर समाजवादी पार्टी के उम्‍मीदवार ने भाजपा उम्‍मीदवार को सीधे सीधे चुनौती पेश की थी। बहुजन समाजवादी पार्टी और कांग्रेस का इन चुनावों में भी सूपड़ा साफ हो गया था।

भाजपा विरोधी दलों के नेताओं और कार्यकर्ताओं का धैर्य दे रहा है जवाब ?

कहते हैं कि राजनीति में सत्‍ता सुख की चाहत हर पार्टी के नेता और कार्यकर्ताओं को होती है। लेकिन भाजपा विरोधी दलों के लिए यह अभी दूर की कौड़ी ही दिख रही है। इसके परिणामस्‍वरूप सत्‍ता सुख की चाह में जिले में भाजपा विरोधी दलों के कई बडे नेताओं और कार्यकर्ताओं ने पाला बदलकर भाजपा का दामन थाम लिया हैं। पाला बदलकर भाजपा में शामिल होने वाले नेताओं को सत्‍तालोभी कहकर पार्टियों ने अपने लिए नए समर्पित कार्यकर्ता और नेता तैयार करना शुरू कर दिया। इनमें अधिकांश ऐसे लोग शामिल हैं जिनके विचार भाजपा या भाजपा के नेताओं से मेल नहीं खाते हैं। भाजपा विरोधी दलों के नेताओं और कार्यकर्ताओं को एक कल्‍पना से आत्‍मबल मिल रहा है कि भाजपा की सत्‍ता जाएगी तो उनकी पार्टी सत्‍ता में लौटेगी। ऐसे में उन्‍हें सत्‍ता सुख प्राप्‍त होगा।  राजस्‍थान, मध्‍य प्रदेश और छत्‍तीसगढ़ में भाजपा ने जीत के बाद भाजपा विरोधी दलों के कार्यकर्ताओं और नेताओं  की उम्‍मीदों को झटका लगा है। वहीं, निकट भविष्‍य में भी कोई बड़ा उलटफेर होने की आशंका दिखाई नहीं दे रही हैं। आगामी लोकसभा चुनाव में भी राजनीतिक पंडित भाजपा के केन्‍द्र की सत्‍ता में मजबूत वापसी की बात कह रहे हैं। जानकारों का कहना है कि वर्तमान राजनीतिक परिस्थितियों को देखकर भाजपा विरोधी दलों का धैर्य जवाब दे रहा हैं। ऐसे में लोकसभा चुनाव से पूर्व सपा, बसपा और कांग्रेस के नेता और कार्यकर्ता पाला बदलते हुए दिख सकते हैं।

बदलाव का असर भाजपा पर भी दिखेगा ?

जानकारों का मानना है हाल में सम्‍पन्‍न हुए विधानसभा चुनाव परिणामों का असर केवल भाजपा विरोधी दलों पर ही दिखाई नहीं देखा। प्रत्‍यक्ष अथवा अप्रत्‍यक्ष तौर पर इसका असर जिले में भाजपा की राजनीति पर भी दिखाई देगा। यह बात सर्वविदित है कि वर्तमान में गौतम बुद्ध नगर जिले में भाजपा गुटबाजी का शिकार है। जानकारों का मानना है कि यदि लोकसभा चुनाव से पूर्व सपा, बसपा और कांग्रेस के कार्यकर्ता और नेता पाला बदलकर भाजपा में शामिल होते हैं तो यह भाजपा की गुटबाजी को भी प्रभावित करेगा। इसके अतिरिक्‍त भाजपा में टिकट वितरण के बाद जो भी हालात पैदा होंगे उनके चलते भाजपा से भी कुछ बदलाव दिख सकते हैं।

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